एक सन्त बारह वर्ष से पहाड़ों में तपस्या कर रहे थे । उनको
ऐसी सिद्धि हुई कि टैंक से किसी को भी जला सकते हैं। सन्त ने
सोचा कि अब दुनिया में चलो। मेरे सामने कोई सीधा नहीं रहेगा तो
मैं भष्म कर देंगा। जिससे सारी दुनिया में मेरा हो ।
नाम जायेगा
पहाड़ों से चले तो रास्ते में एक वृक्ष के नीचे विश्राम किया। उनके
ऊपर एक चिड़िया ने बीट कर दी। तपस्वी ने चिड़िया की ओर झुक
मारी, चिड़िया जलकर भष्म हो गयी।
वहां से बस्ती में महात्मा किसी गृहस्थी के पास मिला।
गये । वहां एक पतिव्रता अपने पति को भोजन करा रही थी। इसलिए
भिक्षा देने में देर हो गयी। तपस्वी बोला अरे, मो सावा सादू
समझकर भिक्षा में कर रहे हैं। मेरे तप के प्रभाव को जाने नहीं
देर
है। इतने में पतिव्रता ने भोजन लाकर तपस्वी को दिया और कहा कि
क्षमा करना महाराज कुछ देर हो गयी, मैं अपने पति की सेवा नी
हुई थी वी के लिए पति सेवा ही महान तप व सावना है।
प्रिय वंश जी आप अपनी पोस्ट पर फ़ोटो नही डालते
हमारा 1.5 माह का जर्मन सेफट
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