अगर कोई ये कहे कि अब किसान की सीधी पहुँच उपभोक्ता की रसोई तक होगी तो अजीब सा लगता है, लेकिन बनारस (ऊतर प्रदेश) के किसान कुछ ऐसा ही करने जा रहे हैं। मझोले व बड़े शहरों में आजकल सुपर मार्कीट, सुपर स्टोर व फ्रेश स्टोर से तो उपभोक्ता सामान खरीदते ही हैं, लेकिन कुछ जुनूनी किसानों ने किसान डिलिवरी वैन द्वारा उपभोक्ता के घर तक ताजा सब्जी, दूध, अनाज व दाल आदि लेकर पहुंचने का अनोखा तरीका चुना है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस व इसके आसपास के किसानों ने मंडियों में औने-पौने दाम पर उत्पाद बेचने के बजाए इन्होंने अपने ब्रांड के साथ उपभोक्ता के घर तक पहुँचने की पूरी तैयारी कर ली है। प्राप्त जानकारी के अनुसार इसके लिए किसान क्लब का गठन करने के साथ ही प्राइवेट लिमिटेड कंपनी भी बनाई है।
बनारस समेत पूर्वांचल के किसानों की कुछ नया करने की यह पहल समाहित फाउंडेशन ने की है। फाउंडेशन की प्रभारी डा. दिप्ती के अनुसार 'किसान टू डायरेक्ट कस्टमर' योजना का प्लान तैयार कर किसानों को बाजार के अनुसार ढालने की तैयारी में करीब छह महीने का समय लग गया। अब वाराणसी, भदोही, मीरजापुर, चंदौली और सोनभद्र के सैंकड़ों किसानों का समूह तैयार हो गया है जिसके तमाम उत्पाद जैसे दूध्-सब्जी, गेहूं, चावल, दलहन, तिलहन और इनसे बनने वाले मैदा-सूजी, बेसन व तमाम तरह की खाद्य सामग्री ब्रांड 'गृहस्थ' के नाम से सीधे ग्राहकों तक पहुंचेगी।
नाबार्ड से मिला प्रशिक्षण
इन किसानों को 'स्मार्ट' बनाने के लिए नाबार्ड के सहयोग से भारतीय सब्जी अनुसंधान केंद्र में ट्रेनिंग दी गई है। प्रोग्रेसिव रिसर्च ऑर्गनाइजेशन फॉर वेलफयर के कन्हैया सिंह के मुताबिक किसानों को सब्जियों की गुणवत्ता और उत्पादकता बढ़ाने के साथ अपना सामान ग्राहक तक पहुंचाने के लिए भी प्रशिक्षित किया गया।
डा. दिप्ती के अनुसार सुपर मार्केट या किसी दुकान से खरीदे जाने वाले सामान से 'गृहस्थ' का उत्पाद दस से बीस प्रतिशत तक सस्ता और शुद्ध होगा। जैसे कि बाजार में 24 रुपये किलो बिकने वाला आटा उपभोक्ता को 20-21 रुपये में मिलेगा। आटा, सत्तू, मैदा व बेसन आदि पिसाई के
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