चीन को अब बाड़मेर से निर्यात होने वाला ग्वारगम बंद हो गया है। अमरीका, जर्मनी और अन्य यूरोपीय देशों में अभी भी बाड़मेर से ग्वारगम जा रहा है। लेकिन इसमें भी कमी आई है। वहीं चीन ने राजस्थान की बजाय अब हरियाणा से ग्वारगम लेना शुरू कर दिया है। इसके चलते ग्वार और ग्वारगम के व्यापारी व किसान मंदी के दौर से गुजर रहे हैं।
एक बार तो ग्वारगम के दाम 350 रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच गए थे और काजू बिदाम के दाम पर ग्वार बिका। इस दौर में बाड़मेर का ग्वार चीन, अमरीका, जर्मनी और अन्य देशों में बड़ी मात्रा में निर्यात हो रहा था और इसकी मांग इतनी बढ़ गई कि दाम आसमान पर पहुंच गए। इसके बाद ग्वार और गम दोनों में मंदी का दौर आ गया। चीन ने राजस्थान के ग्वार की बजाय अब हरियाणा के ग्वार को खरीदना शुरू कर दिया है। हरियाणा का ग्वार ज्यादा चिकनापन लिए हुए होता है। एेसे में चीन को होने वाली खपत बंद हो गई है। इधर टैक्स को लेकर निर्यातकों को आ रही परेशानी से अन्य देशों में भी अब ग्वार की मांग कम हो रही है।
अभी 30 रुपए प्रतिकिलो
कभी काजू बादाम के भाव बिका ग्वार अब मंदी के दौर में 30 से 33 रुपए प्रति किलोग्राम पर आ गया है। गम के दाम भी 80 रुपए प्रति किलोग्राम पहुंच गया है। एेसे में इतने कम दामों में बेचने की मजबूरी से ग्वार की पैदावार लेने वाले किसानों को निराशा झेलनी पड़ी रही है।
ग्वार पर फिर भी भरोसा
खरीफ की फसल में ग्वार, बाजरा, तिल, मूंग और मोठ की बुवाई होती है। किसान ग्वार की बुवाई पर फिर भी भरोसा करते हैं। एक बार दाम 350 पहुंचने के बाद अब किसानों को यह उम्मीद है कि एेसे दिन फिर कभी भी आ सकते हैं और वो निहाल कर सकते हैं। एेसे में किसान ग्वार की बुवाई में कटौती नहीं कर रहे हैं।
अभी मंदी है
ग्वारगम में अभी मंदी है। चीन को ग्वार निर्यात नहीं हो रहा है। ग्वार को लेकर पहले की तरह दाम बढ़ते हैं तो अच्छे दिनों की उम्मीद है।- पारस मेहता, व्यवसायी ग्वारगम
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