एक दिन एक व्यक्ति गौतम बुद्ध से मिलने आया। गौतम एक छोटे से कमरे में अकेले बैठे हुए थे। वह व्यक्ति हाथ में कुछ फूल लेकर आया क्योंकि भारत में गुरु के अभिवादन का यह आम तरीका है।
जैसे वह उनकी तरफ आने लगा, गौतम ने उसकी ओर देखा और कहा, ‘गिरा दो’। उनके ऐसा कहने पर उस व्यक्ति ने सोचा कि चूंकि वह इन फूलों को भेंट के तौर पर लाया है, इसलिए गौतम उसे गिरा देने के लिए कह रहे हैं। फिर उसने सोचा, ‘शायद मैंने फूलों को बाएं हाथ में भी रखा है, यह अशुभ होगा।’ यह भी हमारी संस्कृति का एक हिस्सा है, किसी को अपने बाएं हाथ से कुछ देना अशुभ माना जाता है। इसलिए उसने सोचा कि यही वजह है कि गौतम फूलों को गिरा देने के लिए बोल रहे हैं। फिर उसने अपने बाएं हाथ के फूलों को छोड़ दिया और सही तरीके से फिर आगे बढ़ा। गौतम ने एक बार फिर उसे देखा और कहा, ‘गिरा दो।’ अब उसे समझ में नहीं आया कि क्या करना है। फूलों में क्या बुराई है? उसने बाकी फूल भी गिरा दिए। फिर गौतम ने कहा, ‘मैंने ‘उसे’ गिराने को कहा, फूलों को नहीं।’ जो व्यक्ति फूल लाया है, आपको उसे गिराना होगा, उसे त्यागना होगा, वरना आप बुद्ध को नहीं जान पाएंगे। आप आएंगे, सिर झुकाएंगे, सुनेंगे और चले जाएंगे मगर किसी आत्मज्ञानी के साथ होने का मतलब नहीं जान पाएंगे। आप इस संभावना से पूरी तरह चूक जाएंगे।
अगर आप अपने जीवन में बिल्कुल नया आयाम जोड़ना चाहते हैं, तो आपको ‘उसे’ गिराना होगा, किसी और चीज को नहीं। अपने काम, अपने परिवार, इसको और उसको छोड़ने का कोई मतलब नहीं है। आपको सिर्फ ‘इसे’ यानी खुद को छोड़ना है- तभी कुछ हो सकता है। अभी आप जिसे ‘मैं’ कहते हैं, वह सिर्फ विचारों, भावनाओं, मतों, राय और विश्वासों का एक बोझ है। अगर आप उसे नहीं गिराते, तो नई संभावना कहां से आएगी? क्या आप सिर्फ पुरानी चीजों को इधर-उधर की चीजों से सजाने की कोशिश कर रहे हैं। इससे कोई मदद नहीं मिलेगी, इससे चीजें और भी मुश्किल होती जाएंगी। लेकिन सिर्फ मेरे ‘गिरा दो’ कहने पर वह गिर नहीं जाएगा। इसलिए कुछ विधियां और प्रक्रियाएं हैं, जिनसे यह गिराना संभव हो जाता है।
Follow & Upvote
@pardeepkumar
Nice
Hi! I am a robot. I just upvoted you! I found similar content that readers might be interested in:
https://hindi.speakingtree.in/blog/%E0%A4%97%E0%A5%8C%E0%A4%A4%E0%A4%AE-%E0%A4%AC%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%A7-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%B0%E0%A4%B9%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%AE%E0%A4%AF%E0%A5%80-%E0%A4%86%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B6