सत्यार्थ प्रकाश 164

in #book6 years ago (edited)

IMG-20180827-WA0005.jpg

(प्रश्न) ईश्वरासिद्धेः।।५।।

प्रमाणाभावान्न तत्सिद्धिः।।२।।

सम्बन्धाभावान्नानुमानम्।।३।। - सांख्य सू०।।

प्रत्यक्ष से घट सकते ईश्वर की सिद्धि नहीं होती।।१।।

क्योंकि जब उस की सिद्धि में प्रत्यक्ष ही नहीं तो अनुमानादि प्रमाण नहीं घट सकते।।२।।

और व्याप्ति सम्बन्ध न होने से अनुमान भी नहीं हो सकता। पुनः प्रत्यक्षानुमान के न होने से शब्दप्रमाण आदि भी नहीं घट सकते। इस कारण ईश्वर की सिद्धि नहीं हो सकती।।३।।

(उत्तर) यहां ईश्वर की सिद्धि में प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं है और न ईश्वर जगत् का उपादान कारण है। और पुरुष से विलक्षण अर्थात् सर्वत्र पूर्ण होने से परमात्मा का नाम पुरुष और शरीर में शयन करने से जीव का भी नाम पुरुष है।

क्योंकि इसी प्रकरण में कहा है-

प्रधानशक्तियोगाच्चेत्संगापत्तिः।।१।।

सत्तामात्रच्चेत्सर्वैश्वर्य्यम्।।२।।

श्रुतिरपि प्रधानकार्य्यत्वस्य।।३।। - सांख्य सू०।।

यदि पुरुष को प्रधानशक्ति का योग हो तो पुरुष में संगापत्ति हो जाय।

अर्थात् जैसे प्रकृति सूक्ष्म से मिलकर कार्यरूप में संगत हुई है वैसे परमेश्वर भी स्थूल हो जाये। इसलिये परमेश्वर जगत् का उपादान कारण नहीं किन्तु निमित्त कारण है।।१।।

जो चेतन से जगत् की उत्पत्ति हो तो जैसा परमेश्वर समग्रैश्वर्ययुक्त है वैसा संसार में भी सर्वैश्वर्य का योग होना चाहिये, सो नहीं है। इसलिये परमेश्वर जगत् का उपादान कारण नहीं किन्तु निमित्त कारण है।।२।।

क्योंकि उपनिषद् भी प्रधान ही को जगत् का उपादान कारण कहती है।।३।। जैसे-

अजामेकां लोहितशुक्लकृष्णां बह्वीः प्रजाः सृजमानां स्वरूपाः।।

  • यह श्वेताश्वतर उपनिषत् का वचन है ।

जो जन्मरहित सत्त्व, रज, तमोगुणरूप प्रकृति है वही स्वरूपाकार से बहुत प्रजारूप हो जाती है अर्थात् प्रकृति परिणामिनी होने से अवस्थान्तर हो जाती है और पुरुष अपरिणामी होने से वह अवस्थान्तर होकर दूसरे रूप में कभी नहीं प्राप्त होता, सदा कूटस्थ निर्विकार रहता है और प्रकृति सृष्टि में सविकार और प्रलय में निर्विकार रहती है। इसीलिये जो कोई कपिलाचार्य को अनीश्वरवादी कहता है जानो वही अनीश्वरवादी है, कपिलाचार्य नहीं तथा मीमांसा का धर्म धर्मी से ईश्वर। वैशेषिक और न्याय भी 'आत्म' शब्द से अनीश्वरवादी नहीं। क्योंकि सर्वज्ञत्वादि धर्मयुक्त और 'अतति सर्वत्र व्याप्नोतीत्यात्मा' जो सर्वत्र व्यापक और सर्वज्ञादि धर्मयुक्त सब जीवों का आत्मा है उस को मीमांसा वैशेषिक और न्याय ईश्वर मानते हैं।

(Source);(http://satyarthprakash.in/hindi/chapter-seven/)

Sort:  

You got a 5.23% upvote from @upmewhale courtesy of @suthar486!

Earn 100% earning payout by delegating SP to @upmewhale. Visit http://www.upmewhale.com for details!

Sneaky-Ninja-Throwing-Coin 125px.jpg
Defended (17.34%)
Summoned by @suthar486
Sneaky Ninja supports @youarehope and @tarc with a percentage of all bids.
Everything You Need To Know About Sneaky Ninja


woosh