भारत देश के पहले दूध विरोधी hording का ये हश्र तो होना ही था, पर जैन समाज द्वारा इतना हिंसक प्रदर्शन नहीं सोचा था. मुझे भी कुछ हल्की चोट लगी है पर सब ठीक है. इतनी हिंसा जैन समाज को शोभा नहीं देती है.
वो भी जीव दया के लिए. क्या सच में जैन समाज में आजकल जीव दया होती है ? या सिर्फ दिखावा है.
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सभी समाजों और धर्मों के अनुयायी केवल एक लेबल का प्रयोग करते हैं अपनी सामाजिक पहचान हेतु, कोई विरला ही होता है जो सच में उस धर्म का अनुसरण करता है. जैन समाज भी ऐसा ही एक समाज है. धर्म तो एक अलग ही बात है, वो सब के बस की नहीं है.
आप अपनी सेहत का ध्यान रखें और समुचित चिकित्सा लें. किसी से कोई उम्मीद रखे बिना अपना कार्य करना ही अपना कर्तव्य है.