जिस संसार में आप जी रहे हो वो अनंत संभावनाओं से भरा है। करने वाले के लिए कुछ भी नामुमकिन नहीं है और ना करने वाले के लिए कुछ भी आसान नहीं है। ऐसी ही संभावनाओं से भरा जनसंचार का क्षेत्र है।
जनसंचार शब्द उन सभी माध्यमों का धोतक है जिनके द्वारा बहुत सारे लोगों से संचार किया जा सकता है। उदाहरण के लिए टेलीविज़न ,रेडिओ ,समाचार पत्र , पत्रिकाए तथा सोशल मीडिया सभी जनसंचार के माधयम हैं। हर माध्यम की अपनी एक खास बात है। तो जो विद्यार्थी इस क्षेत्र में अपना कैरियर बनाना चाहते हैं उन्हें कुछ बातों पर ध्यान रखना आवश्यक है।
छोटी छोटी आँखों में बड़े बड़े सपने रखने वालों को काम भी बड़े करने होते हैं। आमतौर पर बाहरवीं कक्षा के बाद ही स्टूडेंट अपने लक्ष्य को ध्यान में रखकर जनसंचार विषय में स्नातक करता है। उसके मन में होता है कि ये एक ग्लैमर से भरी दुनिया है और वो आसानी से अपनी जगह यहां बना लेगा। परन्तु यह पूर्ण सत्य नहीं है। थ्योरी और प्रैक्टिकल दोनों का ही सामजस्य इस कोर्स में होता है। जैसे जैसे विधार्थी इस कोर्स को करता जाता है वैसे वैसे वह जनसंचार विषय की बारीकियों को सीखता जाता है। स्वाभाविक है कि थ्योरी और प्रैक्टिकल वर्क के बीच समन्वय बनाना बड़ी कुशलता का कार्य है। यह कुशलता विद्यार्थी को दिखानी ही होती है।
जनसंचार का क्षेत्र ऐसा है जहां पर डिग्री की अपेक्षा स्किल और ज्ञान को ज्यादा प्राथमिकता दी जाती है। इसकी इंडस्ट्री भी स्किल की ही ज्यादा डिमांड करती है कि अपेक्षा अापने क्या पढ़ा है। अब मुख्य बात ये है कि आपकी स्किल और नॉलेज ही ये बताती है कि आप इस इंडस्ट्री में कितनी जगह बना पाते हो।
it is reality in mass communication sector