आप सोच रहे होंगे की इस लेख में ऐसा क्या होगा जिससे हम अपने देश को रातों रात बड़ा बना सकते है तो ये हम आपको पहले ही बता दे कि रातों रात कोई भी देश सफल नहीं हो सकता और किसी भी देश को सफल बनाने का जिम्मा सिर्फ देश की सरकार का नहीं बल्कि देश के नागरिको का होता है जो देश की तरक्की में भागीदार होते है ।
पिछले कुछ महीनो से देश में एक बहस छिड़ी हुई है जिसमे विपक्ष ने सत्ता पक्ष को घेरा हुआ है और वो मसला है ईंधन का या साधारण भाषा में कहे तो पैट्रॉल और डीज़ल । हम हर बार पैट्रॉल और डीज़ल के दाम बढ़ने पर देश में हो हल्ला करने लगते है लेकिन अगर में ये कहुँ कि ईंधन के दाम बढ़ने का फायदा सरकार को नहीं बल्कि अमेरिका को होता है तो आप जरा चौंक जाएगें लेकिन ये सच है ।
पेट्रोलियम वाले सभी देशो पर अमेरिका ने कब्ज़ा किया हुआ है और अरब देशो से तेल खरीदने पर हमे उनको डॉलर में पेमेंट करनी पड़ती है जिसके लिए सरकार को पहले एक्सचेंज से डॉलर खरीदने पड़ते है जिससे हर बार डॉलर की कीमत बढ़ती है और उसकी वैल्यू बढ़ती जाती है और इसी वजह से आज 27 अगस्त डॉलर की कीमत रूपए के मुकाबले 70.12 पहुँच चुकी है और ये बढ़ती ही जाएगी जब तक हम पैट्रॉल और डीज़ल का उपयोग करना नहीं छोड़ेगे । अब आपका सवाल होगा कि यातायात के और किसका उपयोग किया जाये तो में ये कहूँगा कि आप पैट्रॉल जनित ईंधन को छोड़कर बैटरी जनित वाहनों का उपयोग कर सकते है और बैटरी चार्ज करने के लिए आप अपने घर में सोलर पैनल लगा सकते है और बाकी बिजली से अपने घर कि चीजे चला सकते है ।
बाजार में बैटरी चलित वहां अभी बहुत कम है और इसकी वजह भी अमेरिका ही है क्योंकि भारत में गाड़ी बेचने वाली अधिकतर कंपनी अमेरिका से ही है और वो जानबुझ कर पैट्रॉल गाड़ी ही हर देश में बेचते है क्योंकि इससे उनके देश कि अर्थव्यवस्था को बल मिलता है ।
आप सभी लोग अगर गाड़ी लेते समय बैटरी चलित वाहनों कि मांग बढ़ाएंगे तो ही कुछ कम्पनियाँ इसे बाजार में उतारेगी जिससे पैट्रॉल कि मांग कम हो जाएगी और पैट्रॉल और डॉलर दोनों की कीमत नीचे आ जाएगी और तब तक भारत थोड़ा आत्मनिर्भर हो चूका होगा । ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता ही भारत को दुनिया में उसका स्थान वापस दिला सकता है ।
और ये जिम्मेदारी सिर्फ हमारी आपकी नहीं देश के हर वाहन मालिक को निभानी होगी । आपको यह लेख कैसा लगा, नीचे टिपण्णी देकर अपने विचार प्रकट करे ।
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