दुनिया में केवल दो ही प्रकार के लोग होते है। एक, जीतने वाले और, दुसरे, हारने वाले। हारने वाले लोग सुविधाभोगी होते है जो हमेशा छोटे रास्ते की तलाश में रहते है, और जिनके सपने व आकांक्षाऐ वक्त के साथ धुंधली पड़ती जाती है। अपनी हार व असफलताओं के लिए उनके पास हमेशा एक ही बहाना या रोना होता है की सफलता और ख़ुशी उपरवाले ने उनकी किस्मत में लिखी ही नहीं है।
दूसरी और जो विजेता प्रवृति के लोग होते है वे अपने जीवन की कमान स्वयं सँभालते है। वें अपने सपनो अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए जी-जान लगा देते है,और रास्ते में आने वाले छोटे-मोटे दुखों व नुकसानों की पीड़ा को हंसकर स्वीकार करते है। जीतने वाले इस सच को मानते है की जिन्दगी के सफ़र में अपने हर कदम के लिए मिलने वाली प्रशंसा अथवा भर्त्सना के लिए वे ही जिम्मेदार है, और कोई नहीं।
Great article!