कहते है की प्यार आँखो के रास्ते दिल में उतर जाता है, ऐसी ही कुछ पंक्तिया कविता के रूप में!
नयन देख हो गया मगन,
और नहीं कुछ ख़्याल रहा
उर में एक नशा सा छाया,
ऐसा पहली बार हुआ ।
वह पलक झुके तो निशा चले,
जो उठे पलक तो रवि चढ़े
उन नयनों का खेल निराला
जिससे मेरा दिल था आया ।
जीवन का सब सार था बदला,
नयी उमंग लहरायी थी
हर साँस में हर सोच में,
नयी तरंग सी आयी थी ।
किन शब्दों में करूँ उल्लेख
उन प्यारी सी आँखों का,
सागर जैसी गहरी थीं
मतवाले की मदिरा थी
नयनों की उस मदिरा का,
मैंने भी रस पान किया
बेसुध होकर उन नयनों पर
अपना जीवन वार दिया .....
to be continued...