भाई बिल्कुल,
सुबह सुबह की चाय की चुस्की
और उनके एहसास का साथ
है पल था मानो जन्नत का था साथ,
जिंदगी को कमाने की दौड़ में
में जीना भूल गया था,
अब बैठा हु
इत्मीनान से
में और मेरा चाय का कप
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भाई बिल्कुल,
सुबह सुबह की चाय की चुस्की
और उनके एहसास का साथ
है पल था मानो जन्नत का था साथ,
जिंदगी को कमाने की दौड़ में
में जीना भूल गया था,
अब बैठा हु
इत्मीनान से
में और मेरा चाय का कप
वाह क्या बात हैं 👌
अपनी पहाड़ और अल्मोड़ा की बात ही कुछ अलग है