ये दुनिया -
ऐ मेरे दोस्त ये दुनिया बड़ी अजीब है ना
सफर में रहती है पर साथ में नहीं रहती
ऐ मेरे दोस्त.........
ये बेज़ुबान परिंदो को भी नहीं बख्शे
घुटन में डालती है तन ज़हर नहीं देती
ऐ मेरे दोस्त........
ये पेट में ही कली को उजाड़ देती है
जो फूल बन गयी उसको भी घर नहीं देती
ऐ मेरे दोस्त........
सड़क पे बैठा भिकारी ये कहते रात मरा
ये भीख देती है पर रास्ता नहीं देती
ऐ मेरे दोस्त........
ये आंखे देती है कुछ ख्वाब झूठे देखने को
मुझे बता के ये बीनाई क्यों नहीं देती
ऐ मेरे दोस्त........
जो तारा कोई उजड़ते हुए सहरा से उठे
आग तो लाख दे पर आसमा नहीं देती
ऐ मेरे दोस्त.......
तू रोज़ टूटे हुए पर को जोड़ती क्यों है
तू जो औरत रही दुनिया नहीं उड़ने देगी |
Yay! 🤗
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