Poetry: ये दुनिया

in GEMS4 years ago

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ये दुनिया -

ऐ मेरे दोस्त ये दुनिया बड़ी अजीब है ना

सफर में रहती है पर साथ में नहीं रहती

ऐ मेरे दोस्त.........

ये बेज़ुबान परिंदो को भी नहीं बख्शे

घुटन में डालती है तन ज़हर नहीं देती

ऐ मेरे दोस्त........

ये पेट में ही कली को उजाड़ देती है

जो फूल बन गयी उसको भी घर नहीं देती

ऐ मेरे दोस्त........

सड़क पे बैठा भिकारी ये कहते रात मरा

ये भीख देती है पर रास्ता नहीं देती

ऐ मेरे दोस्त........

ये आंखे देती है कुछ ख्वाब झूठे देखने को

मुझे बता के ये बीनाई क्यों नहीं देती

ऐ मेरे दोस्त........

जो तारा कोई उजड़ते हुए सहरा से उठे

आग तो लाख दे पर आसमा नहीं देती

ऐ मेरे दोस्त.......

तू रोज़ टूटे हुए पर को जोड़ती क्यों है

तू जो औरत रही दुनिया नहीं उड़ने देगी |

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