मदिरा के चिरकालीन सेवन से आमाशय शोथ, सूत्रण रोग, यकृत विकार आदि होते हैं। अंगों की शक्ति क्षीण हो जाती है और शरीर की प्रतिरक्षा की क्षमता कम हो जाने से रोगों के आक्रमण की संभावना बढ़ जाती है।
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मदिरा के चिरकालीन सेवन से आमाशय शोथ, सूत्रण रोग, यकृत विकार आदि होते हैं। अंगों की शक्ति क्षीण हो जाती है और शरीर की प्रतिरक्षा की क्षमता कम हो जाने से रोगों के आक्रमण की संभावना बढ़ जाती है।