आने वाले कुछ दिनों में भगवन श्री कृष्ण का जन्मदिन आने वाला है. सितम्बर की 3 तारीख को जन्माष्टमी मनाई जाने वाली है, कुछ स्थानों पर 2 सितम्बर को भी जन्माष्टमी मनाई जाने वाली है. भाद्रपद की कृष्ण अष्टमी तिथि, रोहिणी, नक्षत्र में भगवान विष्णु ने कृष्ण रूप में अवतार लिया। इस दिन भगवान पृथ्वी पर अवतरित हुए थे इसलिए इस दिन कृष्ण जन्माष्टमी मनाया जाता है
भगवान् श्री कृषण हमारे जीवन में प्रेरणा स्तोत्र की तरह हैं. उनकी मुस्कान, चंचलता, सबके मन को मोह लेना और उदार दिल उनकी खासियतों में से एक थी. हमें उनके जीवन से क्या सीख लेनी चाहिए और क्या अपने जीवन में धारण करना चाहिए इन सबके बारे में आज बात करते है, तो कही मत जाइयेगा श्री कृष्णा का ध्यान करते हुए इस पोस्ट को पढ़े, फिर आपका जीवन सफल होजायेगा
इंसान चाहे तो इस दुनिया में क्या नहीं हासिल कर सकता है, लेकिन ज़रूरत है अनुशासित होकर सत्य के मार्ग पर कदम बढ़ाने की. इंसान के लिए कोई भी लक्ष्य बड़ा नहीं होता. अगर हम सभी भगवान के दिखाए मार्ग पर अपने कदम बढ़ाते रहें, तो कामयाबी और सफ़लता से हमें कोई भी बाधा अधिक दिनों तक वंचित नहीं रख सकती.
अगर आपको अपना जीवन सफ़ल बनाना है और ज़िंदगी को एक नया आयाम देना है, तो भगवान कृष्ण की इन बातों को अपने जीवन में ज़रूर अपनाना होगा. सच कहूं तो ये महज विचार ही नहीं, बल्कि जीवन के सक्सेस टिप्स भी हैं. इन्हीं सफ़लता की सीढ़ियों को चढ़कर हम सभी अपने जीवन के उद्देश्य को पा सकते हैं
अगर जीवन में सफ़ल होना है, तो भगवान श्री कृष्ण की इन बातों को अपने जीवन में ज़रूर अपनाएं:-
अच्छे कर्म करो, व्यर्थ की बातों में अपना समय नष्ट मत करो और न ही किसी से बेवजह डरो.
दोस्त वही अच्छे होते हैं, जो कठिन परिस्थितियों भी में आपका साथ दें. दोस्ती में शर्तों की कोई जगह नहीं होती.
किसी भी काम या प्रतियोगिता से पहले उसकी रणनीति बनाना आवश्यक होता है.
किसी के विचार के बंधन में मत बंधो. तुम खुद के विचार विकसित करो.
इंसान को दूरदर्शी होने के साथ-साथ हर परिस्थिति का आंकलन करना आना चाहिये.
मुसीबत में या सफ़लता न मिलने पर हिम्मत मत हारो. समस्याओं का डट कर सामना करो.
अनुशासन में जीना, व्यर्थ चिंता न करना और भविष्य के बजाय वर्तमान पर ध्यान केंद्रित करना सीखो.
दोस्ती में कभी अमीरी-गरीबी मत देखो. सच्चाई और ईमानदारी से दोस्ती निभाओ.
जब विरोधियों का पलड़ा भारी हो, तो विजय पाने के लिए कूटनीति का रास्ता अपनाओ.
गुरु से ज़्यादा सीख अपने अनुभवों से मिलती है. गलतियां और असफ़लताएं आपको बहुत कुछ सिखा सकती हैं.