वो कुँए का मैला कुचला पानी
पिके भी 100 वर्ष जी लेते थे
हम RO का शुद्ध पानी पीकर
40 वर्ष में बुढे हो रहे है।
वो घाणी का मैला सा तैल खाके बुढ़ापे में भी दौड़~मेहनत कर लेते थे।
हम डबल~ट्रिपल फ़िल्टर तैल
खाकर जवानी में भी हाँफ जाते है।*
वो डळे वाला लूण खाके
बीमार ना पड़ते थे।
हम आयोडीन युक्त खाके
हाई~लो बीपी लिये पड़े है।
वो निम~बबूल कोयला नमक
से दाँत चमकाते थे और 80 वर्ष
तक भी चब्बा~चब्बा कर खाते थे।*
और हम कॉलगेट सुरक्षा वाले रोज डेंटिस्ट के चक्कर लगाते है ।।
वो नाड़ी पकड़ कर
रोग बता देते थे और
आज जाँचे कराने पर भी
रोग नहीं जान पाते है।
वो 7~8 बच्चे जन्मने वाली माँ 80 वर्ष की अवस्था में भी घर~खेत का काम करती थी।
आज 1महीने से डॉक्टर की देख~रेख में रहते है फिर भी बच्चे पेट फाड़ कर जन्मते है।।
पहले काळे गुड़ की मिठाइयां
ठोक ठोक के खा जाते थे।
आजकल तो खाने से पहले ही
सुगर की बीमारी हो जाती है।
पहले बुजर्गो के भी
गोडे मोढे नहीं दुखते थे।
जवान भी घुटनो और कन्धों
के दर्द से कहराता है ।
और भी बहुत सी समस्याये है फिर भी लोग इसे विज्ञान का युग कहते है, समझ नहीं आता ये विज्ञान का युग है या अज्ञान का ?????
Excellent
क्या बात कही बिल्कुल सच