सत्य परेशान हो सकता है पर पराजित नही।
एक सच को छिपाने के लिए कई झूठ बोलने पड़ते है।मनुष्य अपनी प्रकृति जिस दिशा में विकसित कर लेता है, उसे वही भाग सत्य दिखाई देने गलता है और शेष सब उससे निष्क्रिय,असत्य, मृतप्राय प्रतीत होने लगता है।असत्य को संसार में सभी धर्मों, सम्प्रदायों, समाज प्रणालियों में बुरा माना है ।असत्य का अनुसरण किसी भी हालत में किया जाय, वह सभी प्रकार से अविश्वास और भ्रांतियां पैदा करने वाला है।Regards to @Mehta sir!
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आपके विचार अति उत्तम है और सत्य भी है । जिसकी जैसी सोच है उसे संसार वैसा ही दिखता है ।