अध्यात्म एक बहुत ही एकमात्र और पवित्र तत्व है। कई बार ऐसा होता है कि मनुष्य रूपी आत्मा जब कभी भी अध्यात्म के द्वारा परमात्मा में लीन होने का प्रयास करती है तो हमारा चित्त दुनिया के नाना प्रकार के कामों के बंधन में फंसता हुआ प्रतीत होता है जिससे हमारा अंतर्मन परमात्मा में ध्यान नहीं लगा पाता।
और मेरे अभिप्राय में तो ये सम्पूर्ण जगत ही अज्ञान है एक छण भंगुर सुख है जिसके लालच में हम परमात्मा की स्थायी प्राप्ति के सुख से दूर हो रहे हैं। उस परमात्मा की प्राप्ति इस अज्ञान के साथ तो कभी नहीं की जा सकती है।
और यही अज्ञान काल का जाल है जिसमे हम सभी आत्मा तत्व फंसते जा रहे हैं।