पिछली शताब्दी के भीतर समाजशास्त्र में एक प्रवृत्ति है या इसलिए, अंतर्ज्ञानी विश्वास परिकल्पना के रूप में जाना जाने वाला या उसके खिलाफ बहस करना। जबकि मनोविज्ञान पिछले दो दशकों से बहस में योगदान दे रहा है। सोच यह है कि धार्मिक विचार अंतर्ज्ञानी, गैर-विश्लेषणात्मक, और इसलिए हमारे प्राकृतिक विचार आदर्श है।
आपका क्या मानना है मेहता जी ।@mehta
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आपकी हिंदी और सोच, मेरी समझ से बाहर की बात है. अत: मेरे लिए कुछ भी कहना मुश्किल है.
मैं अशुद्ध हिंदी लिखता हूं क्या मेहता जी ?
@mehta इसे google translate से अंग्रेजी में अनुवाद करके बेहतर समझ आता है 😜:
एक बात और है कि ये इंग्लिश भी मेरे लिए समझाना बहुत ही मुश्किल है.धन्यवाद @xyzashu जी. आपके सटीक सुझाव के लिए. आगे से इस तरह के सन्देश को गूगल से अनुवाद कर लिया करूँगा.
हा हा हा, मेहता जी आपके रिप्लाई वर्ल्डक्लास होते है।@mehta