तीन छात्रों की कहानी, जो मेहनत से जी चुराते थे, पर प्रोफ़ेसर ने उन्हें अनूठे तरीके से समझाया।
प्रोफेसर कॉर्निक बॉटनी के प्रसिद्ध प्रोफेसर थे। छात्र उनके साथ काम करने के लिए तड़पते थे। प्रोफेसर दिल खोलकर सबकी मदद भी करते थे। पर आलसी छात्रों से वह सख्ती से पेश आते थे। एक बार प्रोफ़ेसर ने सभी छात्रों को कॉलेज कैम्पस के मध्य स्थित एक पेड़ के बारे में जानकारी इकठ्ठा करके लाने को कहा। तीन कामचोर विद्यार्थियों ने सोचा, हमारे दोस्त तो जा ही रहें है, हम क्यों अपना समय बर्बाद करे? दोस्तों से पेड़ के बारे में पूछकर प्रोफ़ेसर को बता देंगे।
अगले दिन क्लास में प्रोफ़ेसर ने पूछा, आप सब कल पेड़ देखने तो गए ही होंगे। आप में से कितने छात्र उस पेड को दो सौ साल पुराना मानते हैं? तीन कामचोर छात्रों को लगा, इतना विशाल पेड़ है, तीन सौ साल पुराना तो होगा ही। तीनो ने हाथ खड़े कर दिए। प्रोफ़ेसर ने उन्हें एक कहानी सुनाई, एक बार एक राजा ने यह पता लगाने का फैसला किया कि राज्य में कितने लोग मेहनत करते है और कितने सिर्फ बातों से ही काम चलाते हैं।
राजा ने सड़क के बीच में एक बड़ा-सा पत्थर रखवा दिया और खुद पीछे छिप गया। पहले वहां से कुछ जमीदार गुजरे। उन्होंने पत्थर को देखा और बगल से निकल गए। फिर ताजदरबार के कुछ दरबारी, अधिकारी, मंत्री, कई सैनिक और कुछ ग्रामीणों ने भी पत्थर को नजरअंदाज कर दिया। फिर वहां से एक गरीब आदमी गुजरा। उसके सिर पर एक बड़ी गठरी थी। पत्थर देखकर वह रुक गया।
उसने गठरी किनारे रखी और पत्थर को ढकेलने लगा। काफी कोशिशों के बाद उसने पत्थर को मार्ग से हटा दिया। पत्थर के नीचे उसे एक पोटली मिली, जिसमे सोने की गिन्नियां भरी थी। कहानी सुनकर प्रोफ़ेसर ने उन तीन छात्रों से कहा, अगर आप कल पेड़ देखने गए होते, तो आपको पता चलता की वह बहुत छोटा-सा पेड़ है। आपका झूट पकड़ा गया।
मेहनत का कोई विकल्प नहीं होता। मेहनत से ही सफलता मिलती है।
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