बगीचे के एक अहंकारी गुलाब की कहानी,जिसे अपने सौन्दर्य का घमंड हो गया था।
एक बाग में हर तरह के पेड़-पौधे लगे थे। उसमे गुलाब का भी एक पौधा था। एक दिन पौधे पर एक खूबसूरत गुलाब खिला। बाग के सभी पौधे गुलाब की खूबसूरती से मंत्रमुग्ध हो रहे थे। देवदार का एक पेड़ गुलाब को देखकर बोला, काश, हम भी गुलाब जैसे खूबसूरत होते। पास ही खड़े ताड़ के पेड़ ने कहा, इस बाग में मुझसे खूबसूरत कोई पेड़ नहीं है।
गुलाब यह सब सुन रहा था। वह जैसे-जैसे बड़ा हो रहा था, उसके अंदर अहंकार बढ़ता ही जा रहा था। गुलाब से थोड़ी दूर पर केक्टस का एक पौधा लगा हुआ था। एक दिन गुलाब ने तय कर लिया की वह अपनी जगह बदल लेगा। सारे पेड़-पौधे हैरान होकर पूछने लगे की तुम अपनी जगह क्यों बदलना चाहते हो? गुलाब बोला, मेरे जैसा खूबसूरत फूल कटीले कैक्टस के बगल में कैसे रह सकता है?
पास खड़े बरगद चाचा ने गुलाब को समझाया, बेटे, तुम्हारी तभी तक है, जब तक तुम अकेले हो। गुलाब के और पौधों के बीच तुम्हारा महत्व खत्म हो जायेगा। और जहां कांटो की बात है, तो कांटे तो तुममे भी हैं। लेकिन गुलाब ने किसी की नहीं सुनी और केकेट्स से दूर चला गया। इस बीच सर्दी बीत गई और गर्मी आने चरम पर पंहुच गई। बारिश के आभाव में पेड़-पौधे मुरझाने लगे।
गुलाब ने देखा, कुछ गौरेया कैक्टस में अपनी चोंच घुसाती और भाग जाती। गुलाब हैरान था। एक पौधे ने बताया कि कैकेट्स में काफी पानी होता है, क्योंकि पुरे मौसम वह पानी इक्कठा करता है। गौरेया कैकेट्स के अंदर का पानी पी रही है। गुलाब की आँख खुल गई। उसे लगा की कैक्टस से दूर जाकर उसने गलती की है। अगर इस वक़्त वह कैक्टस के पास होता, तो उसकी मदद से ज्यादा समय तक जीवित रह सकता था।
सौन्दर्य जा गुमान नहीं करना चाहिए, गुण असली चीज है।
Posted using Partiko Android