बिल्लू नामक एक बिल्ली की कहानी जिसने आखिरकार मुर्गे की बादशाहत खत्म की।
अफ्रीका में एक समय मुर्गे बिल्लियों पर राज किया करते थे। दिन-रात बिल्लियां मुर्गो के लिए खाना इकट्ठा किया करती थीं और मुर्गे ठाट से दावत उड़ाया करते थे। बिल्लियों में मुर्गो का इतना डर था कि हर बिल्ली अपने गले में झोला टांगे रहती थी, जिसमे वे चींटियों इकट्ठा करती थी। चीटियां मुर्गो का पसंदीदा व्यंजन होते हैं, इसलिए मुर्गे चींटियों से प्रसन्न हो जाते थे।
यह सिलसिला कई वर्षों तक चलता रहा। इसकी वजह सिर्फ इतनी थी की मुर्गो के बादशाह ने बिल्लियों को यह कहकर डरा रखा था कि मुर्गो के पास कुदरती ताकत होती है, जिसमे वह बिल्लियों को पल भर में भस्म कर सकते हैं। इसका कारण है कि मुर्गो की कलगी आग से बनी होती है। सर्दी के मौसम में आमतौर पर बिल्लियां आग जलाकर सोती थी, ताकि सर्दी से बच सकें।
एक रात बिल्लू बिल्ली के घर की आग बुझ गई। बिल्लू न अपनी बेटी किट्टी से कहा, मुर्गे महाराज के घर से थोड़ी सी आग ले आओ। किट्टी मुर्ग महाराज के घर गई, पर देखा की वो सो रहे हैं। किट्टी वापस आकर बोली की मुर्ग महाराज सो रहे है। बिल्लू बोली, कोई बात नहीं, कुछ पतली लकड़ियां ले आओ, और उनकी कलगी से छुआकर उन्हें जलाकर ले आओ। किट्टी कुछ लकड़ियां लेकर गई, लेकिन कलगी से छुआने पर लकड़ियां जली ही नहीं।
किट्टी ने वापस जाकर बिल्लू को सब कुछ बताया। बिल्लू स्वयं लकड़ियां लेकर गई, लेकिन कलगी से छुआने पर लकडियां जली ही नहीं। फिर बड़ी हिम्मत करके बिल्लू ने कलगी को हाथ से छूकर देखा। कलगी एकदम ठंडी थी। जैसे ही बिल्लू को कुछ समझ में आया की मुर्गो ने बिल्लियों को बेवकूफ बनाया, तो उसने यह बात सबमे फैला दी। अगले दिन मुर्गो की बादशाहत खत्म हो गई और तब से आज तक मुर्गे बिल्लियों से डरते हैं।
किसी बात पर आंख मूंदकर विश्वास करने से पहले उसे परखे।
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