चरित्र मन का दर्पण होता हैं। मन आत्मा का प्राकट्य साधन, चरित्र का कलंक आत्मा को दूषित करता हैं। चरित्रवान व्यक्ति आज के समय में भी, जहां भी जाता हैं, सम्मान पता हैं। चरित्र पर आपके उच्च विचारो का हम ह्रदय से सम्मान करते हैं। सादर आभार मेहता सर।
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