आप बात कर रहे है कि क्या हो रहा है, और मैं बात कर रहा हूँ कि क्या सही है और क्या होना चाहिए, बस यही फर्क है. इसी फर्क को समझे तो दोनों बातें ही सही है.
जो होना चाहिए प्रेम का मतलब वही है. कौन कैसे समझ रहा है ये वो जाने. गलत करने से, चीज गलत नहीं हो जाती वो तो वही रहती है. किसी के कुछ करने पर कोई रोक थोड़ी है. परन्तु हम सही और गलत तो समझ सकते ही है.
और एक बात बड़े और छोटे होने से बात सही या गलत नहीं होती है. बात तो वही रहती है चाहे कोई माने या न माने.
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