जो भी सत्ता, संपत्ति, सत्कार जीवन में मिलता है, उसे देने वाला एक न एक दिन जरूर वापस ले लेता है। इससे दुखी नहीं होना चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि यही अंतिम सत्य है। यदि कुछ रह जाता है तो आपके किए हुए शुभ कर्म और आपका सदाचरण। जिसका आचरण जितना अच्छा है, वह परमात्मा के उतना ही करीब है।
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