बचपन का प्यार...

in #life6 years ago

बचपन का प्यार बहोत हि मासुम होता है ।उस वक्त हमे कुछ नहि पता होत्ता है क्या सही है. क्या गलत है.जो कुछ होता है . प्यार हि होता है.प्यार इतने आसानि से नही होता . प्यार होने के लि यै बहोत समय जाता है. सबसे पेहले हम उस इन्सान कै बारे मे सुनते है फिर जाके कभि हम उस इन्सान से मिलते है.प्यार तो कभि किसी को देख कर एक नजर मे हि हो जाता है .औऱ कभि तो हजारो दिन भि लग जाता है प्यार नहि होता है.औऱ प्यार कोइ खेल नहि है जो देखा या फिर पास आये प्यार हो गया .
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प्यार का एहसास हि बहोत खास होता है.प्यार करना तो बहोत आसान है .लेकिन प्यार को निभाना बहोत मुश्किल .जिसके लाइफ मे प्यार आ जाता है. उसके लाइफ मे खुशी आ जाती है. अब आते है. बचपन के प्यार के पास .जब बच्चे स्कूल मे पढते है. तब उनका स्कूल मे घर के बाहर बिलडिग मे जहां वो रेहता है वहा उनका दोस्त बन जाता है.जब वो स्कूल मे पढता है.तब उसके क्लास मे औऱ बहोत से बच्चे पढते है.तब उनि बच्चों मे से कोइ आपका खास दोस्त बन जाता है.

औऱ वो खास दोस्त लडका या लडकि भि हो सकते है.अगर वो दोस्त लडका है.तो उसकि अछाई हमेशा तुम्हें याद रहेगी .औऱ अगर वो लडकि हुइ तो तुम सायद उसे प्यार करने लगते हो उस वक्त तुम खुद इतने छोटे रेहते हो कि तुम्हें खूद नहीं पता प्यार क्या होता है.तुम उस लडकि जिसे तुम प्यार करने लगे हो उसै या फिर औऱ किसी को कैसे बताओ गे.फिर धिरे धिरे तुमहारी औऱ उस लडकि कि दोस्ती गेहृरि होती जाती है. फिर तुम उसको पस्नद करने लगते हो औऱ वो तुमहे .फिर अगर तुम कही भी जा ते हो. तो तुम उस के बारे मै हि सोचेगै कि कास वो भि यहाँ होता तुम कोइ भि काम करोगी तो भि तुम उसके बारे मे हि सोचो गि.

उसै तुमहारे बारे मे कुछ नहि पता औऱ उसे भि तुम्हारे बारे मै कुछ नहि पता बस पता है. कि बस हम दोनो एक दुसरे को बहोत पसन्द करते है.लेकिन सच पुछो तो यहि से प्यार कि शुरुआत होती है. प्यार किस उम्र मे होता है .प्यार एक वो प्यारा एहसास है जो कि किसी भि उम्र मे होता है.प्यार कि कोइ उम्र नहीं होती हमने अकसर ये देखा है कि प्यार अक्सर कच्ची उम्र मतलब छोटि उम्र मे हि होता है. जब 9-10 मे पढते रेहते है. तभी जो प्यार होता है .वो सच्चा औऱ बचपन वाला प्यार होता है.ये वो प्यार है .जिसमें केवल चेहरे कि हसी दिख जाती है . तो मानो दुनिया की हर खुशी मील जाती है. सही मायने मे इसे हि प्यार केहते है.

आज कल वाला प्यार नहीं जो आज हुआ कल खतम हो गया .आज कल का प्यार न सच्चा है ना हि इसमे कोइ सच्चाई औऱ ना हि दम है.प्यार तो वो होता है. जो केवल आप मेहसुस कर सकते हो. दुनिया को दिखा या बता नही सकते. सच्चा प्यार वहि होता है .जो किसी भि हाल मे कोइ भि परिस्थिति मे अपने प्यार को हमेशा खुशी दे वो हि सही मायने मे सच्चा प्यार होता है.बचपन के प्यार के किस्से भि बचपन कि प्यार कि तरह मासुम हि हो ते है. जब लडका या लडकि.मे से कोइ कहि जाता था . तो उसके पिछे पिछे जाना उस को एक बार देखने के लिये दिन भर उसके घर के बाहर भटकना उस को देख ने के लिए अपने सारे काम छोड देना तुम्हें देख ने तुमहारे घर आ कर बात सुनना काम करना .

अपने प्यार को कुछ खिला ने के लिएसबको कुछ खिलाना पडता है.इस तरह अपने प्यार कि खुशी के लिये वो अपनी खुशी भुल जाते है.एसा सुना है. कि इन्सान जब प्यार मे होता है . तो वो कुछ भि कर सकता है.प्यार को जिने औऱ समजने के लिये प्यार करना भि जरूरी होता है.ऐसा बहोत देखा गया है .कि बचपन का प्यार कभि पुरा नहि होता औऱ ना हि सफल होता है. हजारो मे से एक दो प्यार है.जो आगे जा के पुरे होते नहि तो अक्सर तो सब खत्म हो जाता है. प्यार वो खुशी होती है. जो आपके जिवन मे हजारों खुशिया देति है .जो आप का जिवन मे केवल खुशीया हि देति है औऱ कचछ नहीं प्यार हमे ये सिखाता है. कि कैसे कोइ अपने प्यार के लिए अपनी जान देता है.

कैसे कोइ अपने प्यार को खुश रखने के लिये खुद जिन्दगी भर रोता है.कैसे कोई अपने प्यार को खुश रखने के के लोए अपने प्यार को हि भुल जाता है.औऱ कोई तो अपने प्यार को खुश रखने कै लिए खुद को हि भुल जाता है. इसे केहते है .सच्चा प्यार तो लाखो करते है लेकिन उसे निभाता कोइ एक है.। प्यार मे ना हि कुछ लेने कि र्शत होती है . औऱ नाहि कुछ देने कि प्यार कई तरह का होता है. कोइ आपके दिल से प्यार करता है. कोई आपकि सुन्दरता से कोइ आपके पैसे से तो कोई आपके दोलत से लेकिन सच्चा प्यार वहि है .

जो आपकी सुन्दरता से नही आपके दोलत से नहि बल्कि आपके दिल औऱ मन से प्यार कर वहि सच्चा औऱ बचपन का प्यार होता है.प्यार को जिने के लिये प्यार करना जरूरी है. औऱ प्यार करने के लिए प्यार निभा ना जरूरी है. आपको प्यार करने वाले हजारों मिल जाये गे .लेकिन आपको प्यार करने वाला कोइ एक हि होता है.
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