दान-धर्मत परो धर्मो भत्नम नेहा विद्धते।@mehta सही कहा सर जी , दान से बड़ा ना कोई पुण्य और ना कोई धर्म , और धर्म की कोई परिभाषा नहीं,
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दान-धर्मत परो धर्मो भत्नम नेहा विद्धते।@mehta सही कहा सर जी , दान से बड़ा ना कोई पुण्य और ना कोई धर्म , और धर्म की कोई परिभाषा नहीं,