आज के युग में चारो तरफ असत्य इतना फेल गया हे की हर किसी को ये लगने लगा हे की सामने वाला इंसान असत्य बोल रहा हे कियो की वह स्वयं एसा ही करता हे कियोकि कहा जाता हे की आप जेसे हो आपको सारा संसार वेसा ही लगता हे
लेकिन असत्य के सहारे कोई जियादा दूर तक नहीं जा सकता उसका जुट एक न एक दिन बहार जरुर आएगा
और हमे हमेसा सत्य के मार्ग पर ही चलना हे तभी जीवन का सही मायिने में सफल हे
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