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RE: धर्म का प्राणतत्व : विनय (अन्तिम भाग # ३) [ The Life of Religion : Modesty (Final Part # 3)]

in #life7 years ago

हमे अपने ज्ञान और कला पर गमंड नहीं करना चाहिए और नहीं कभी किसी का अपमान करना चाहिए हमे अपने ज्ञान और और कला का उपयोग हमेसा दुसरो को भले के लिए करना चाहिए और जीवन में कभी की अभिमान नहीं होना चाहिए अभिमान अंत की सुरुआत हे