गैरों के साथ मिलके मुस्कुराया न करो ,
जान सी निकलती है दिल जलाया न करो ।
बातों बातों में लोग बात बना लेते हैं,
राज ए दिल किसी को बताया न करो ।
जान सी निकलती है दिल जलाया न करो
कांच से भी नाजुक है शीशा - ए - दिल ,
बार - बार पत्थरों से टकराया न करो ,
जान सी निकलती है दिल जलाया न करो ।
डर लगता है खुली जुल्फों को देखकर
जादू इन घटाओं का दिखाया न करो
जान सी निकलती है दिल जलाया न करो
छुप छुप के गैर से नजरें न करो चार
प्रियतम ये सितम ढाया न करो
जान सी निकलती है दिल जलाया न करो ।
Hai I am adding u in my list and u add me @sachinmehta I have Steem power 32.will keep on voting u and same done by u.
Ok bro..done
Good thanks
Good poem
Thanks for upvoting awdhesh bro..
Nice man ✌✌✌
Thanks dear..Plz follow me. I followed you..
Thanks friend information about it
Congratulations @shatrusingh1234! You received a personal award!
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