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पाण्डु पुत्र भीम महान् बलशाली था। मगर उसकी बुद्धि अर्जुन जैसी तेज नहीं थी। भीम को अपने बल का
बड़ा अहंकार था। भीम बार बार सभी को हराने का दावा करता था। उसमें हजारों हाथियों का दल था। एक
बार कुती माता उन्हें हिमालय पर ले गईवहाँ भीम को सरोवर में स्नान करने को कहा। भीम जब नहाने गया
तो वह डूबने लगा। चिल्लाने पर माता कुंती ने उसे बाहर निकाला। माता बोलावेटा भीम तुम तो बहुत
शक्तिशाली हो फिर डूब क्यों रहे हो। भीम ने कहामाता श्री पानी में तो सभी डूबते हैं। नहीं पुत्र इसका जरुर
कोई कारण होगा। तुम पानी में खोज करो। माता ने पुनः भीम से कहा पानी में खोज करने पर भीम को एक
विशाल खोपड़ी को दिखाते हुए कहा भीम तुम इस खोपड़ी में डूब रहे थे। ये खोपड़ी लंकापति रावण के भाई
कुम्भकर्ण की है। जब उसकी खोपड़ी इतनी बड़ी है तो वह स्वयं कितना बड़ा होगा। उसका शरीर कैसा होगा।
उससे भी बड़ी बात है कि उसे मारने वाला कितना बलशाली होगा।
ये सुनते ही भीम का सारा अहंकार मिट गया। वह पढ़लिख कर ज्ञानी बन गयावह बड़ों का आदर करने
लगा।
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