संस्कृत में सांप शब्द का अर्थ है कोबरा प्रजाति का सर्प प्राचीन काल में और आज भी लोग सांपों से डरते हैं लेकिन साथ ही उन्हें पूजते भी है सांप विभिन्न स्वरूपों और अवतारों में भारतीय पौराणिक कथाओं में नजर आता है कभी शिव के गले में हार की तरह लिपटा हुआ तो कभी गणित के शरीर पर जनेऊ की तरह बंधा हुआ वैसे सांपों को ब्रह्मा जी का वंशज भी माना जाता है जानते हो!
वराह पुराण के अनुसार ब्रह्मा जी के पुत्र कश्यप की 4 पत्नियां थी इनमें से पहली पत्नी ने देवों को ,दूसरी ने गरुड़ को , तीसरी ने सांपों को , चौथी ने दानवों को जन्म दिया तीसरी पत्नी का नाम काड्र था इसलिए नागों को कात्रज भी कहा जाता है
काड्र1000 नागों की मां थी जिनमें प्रमुख है शेषनाग ,वासुकी और तक्षक जब मनुष्य पर नागों का अत्याचार बढ़ने लगा तो ब्रह्मा ने उन्हें नष्ट होने का श्राप दिया डर कर उन्होंने ब्रह्मा से अपना स्वभाव बदलने का वादा किया और माफी मांगी अपने लिए सुरक्षित ठिकाना पूछने पर ब्रह्मा ने उन्हें पृथ्वी के नीचे बसे तीन लॉक सुतल ,बीतल और पाताल में बचने का आदेश दिया लेकिन साथ ही उन्हें चेतावनी भी दी दुष्ट सांपों को खत्म करने के लिए अभिमन्यु के पपौत्र जन्मेजय द्वारा एक यज्ञ किया जाएगा
जन्मेजय ने सांपों को खत्म करने के लिए सर्प सत्र नाम का यज्ञ आयोजित किया क्योंकि एक सांप के काटने से ही उसके पिता परीक्षित की मृत्यु हुई थी जब इस यज्ञ में कई सांप मरने लगे तब उनके राजा वासुकी नाग अपनी बहन मनसा से कहा अपने पुत्र आस्तिक को यज्ञ स्थल पर नागवंश की रक्षा के लिए भेजें आस्तिक जन्मेजय के यज्ञ स्थल पर पहुंचा और वहां मौजूद सभी लोगों की प्रशंसा में गीत गाए जनमेजय से मिले वरदान के बदले उसने बाकी बचे सांपों की जान बचाई कहते हैं सांपों को जीवनदान मिला! उस दिन श्रावण महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी थी आज इसी दिन नाग पंचमी का त्यौहार मनाया जाता मनाया जाता है!
वासुकी नाग का इस्तेमाल समुद्र मंथन के लिए देवताओं और दैत्यों ने रस्सी की तरह इस्तेमाल किया था! वासुकी शिव का सांप है हमेशा उनके गले में हार की तरह लिपटा रहता है! यह तो हुआ शिव का सांप लेकिन पुराणों में विष्णु के साथ भी एक नाग बताया जाता है!
जिसका नाम है शेषनाग माना जाता है कि विष्णु समुद्र के बीच शेषनाग की शय्या यानी बिस्तर पर लेटे हुए ही
ब्रह्मांड की रक्षा करते हैं शेषनाग के हजार सिर बताए जाते हैं वैसे तो शेषनाग कोई दुष्ट जीव नहीं है लेकिन उसका वर्णन कुछ अजीब है कहते हैं पृथ्वी समेत सभी ग्रह उसके फिर पर टिके हैं और उसके सिर हिलाने से भूकंप आते हैं उसके कुंडली मारने से समय आगे बढ़ता है और सृष्टि की रचना होती है और कुंडली बंद करने पर दुनिया खत्म होती है दुनिया खत्म होती है ऐसा भी माना जाता है कि विष्णु के साथ- साथ कई बार शेषनाग ने भी पृथ्वी पर अवतार लिए है
जैसे राम अवतार के वक्त लक्ष्मण , कृष्ण अवतार के वक्त बलराम के अवतार लिए थे! कृष्ण का नाम लेते ही याद आया उनके बचपन का एक किस्सा! कालिया नाम का एक प्रसिद्ध नाग वृंदावन की यमुना नदी में रहता था! वैसे तो वह रमणा द्वीप का रहने वाला था! पर गरुड़ के डर से वृंदावन आकर रहने लगा! कालिया वृंदावन में गरुड़ से सुरक्षित था! क्योंकि श्राप की वजह से गरुण वहां नहीं आ सकता था! और आता तो उसकी मृत्यु हो जाती! एक बार बालकृष्ण और उनके ग्वाले यमुना नदी के किनारे गेंद से नदी पर खेल रहे थे! तभी उनकी गेंद पानी में गिर गई! गेंद लेने के लिए कृष्ण पानी में कूद पड़े !
तभी कालिया नाग अपने 110 फन उठाकर जहर उगलने लगा और कृष्ण के शरीर को जकड़ लिया! तब कृष्ण ने अपना आकार इतना बड़ा कर लिया कि मजबूरन कालिया को उन्हें छोड़ना पड़ा तब कृष्ण ने कालिया नाग के सिर पर नाचना शुरू कर दिया कृष्ण का विराट रूप देखकर कालिया ने माफी मांगी कृष्ण के आदेश से वापस रमणा दीप चला गया! एक अन्य नाग जो महाभारत में प्रमुखता से आता है वह तक्षक! पांडवों ने खांडव वन और कुरुक्षेत्र को अपना राज्य बनाया और तक्षक को वहां से निकाल दिया इसके बाद वे तक्षशिला में रहने लगा वह तक्षक ही था जितने राजा परीक्षित को मारा था भारत में नाग को समर्पित कुछ मंदिर है खासकर दक्षिण में! कर्नाटक में उनके सम्मान में नाग मंडल तमिलनाडु में महिलाएं नाग देवी की पूजा करती हैं और बदले में उन्हें प्रजनन शक्ति परिवार की सुरक्षा और ऐश्वर्या का आशीर्वाद मिलता है केरल के नागवंशी समुदाय और नागालैंड के नागा जाति के लोग स्वयं को नागवंश का मानते हैं
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