#Hindi Translation of The Above Post
पलाश गुस्से से लाल पीला था। बहुत दिनों से उससे मैं जो मिला नही था। आज वापस गाँव आया तो उससे जा के मिला। तब हम दोनों बस "इत्ते से" थे। अब वह बहुत बड़ा हो गया है। मुझसे बहुत बड़ा और बहुत ऊँचा। केशरिया रंग के फूलों से लकदक वह बहुत खूबसूरत लग रहा था। वह मुझे देखकर बहुत खुश था। मैने उसके साथ दो-चार सेल्फी भी ले लिया, बोला कि उसे Facebook में tag करूँगा लेकिन उसे समझ नही आया। वह Facebook में नही है। मैं भी कितना बुद्धू हूँ।😄
मैंने अपनी मशरूफियत की दुहाई दी। कंपनी, फिल्म, ब्लॉगिंग, ट्रेवेलिंग ये वो....हमारे लिए ये दुनयावी बातें महत्व रखती हों पर उसे इनसब से कोई मतलब नहीं।
मैं एक ऐसे शहर में रहता हूँ जहाँ बेशुमार लोग रहते हैं। सड़कों पर अनगिनत गाड़ियाँ, प्रदूषण, धूल, धुआँ और शोर रहता है चारों तरफ लेकिन यह ऐसे जगह में रहता है जहाँ फ्रेश ऑक्सीजन, फ्रेश जल, शांति और चारों तरह हरियाली है। हम खुद विचार करें कि कौन लक्ज़री लाइफ जी रहा है!
पलाश प्रकृति का एक अंग है।वह प्राकृतिक तरीके से रहता है लेकिन हमलोग नहीं। हमने शहर में आकर क्या हासिल किया? शायद कुछ नही सिवाय बीमारियाँ और डिप्रेशन के। कौन भाग्यशाली है, मनुष्य या पेड़-पौधे और पक्षियां? आप खुद विचार करें।