Good morning

in #nice8 years ago

ये उम्र चालीस की बड़ी अजीब होती है...!

न बीस का ज़ोश,
न साठ की समझ,
ये हर तरफ से गरीब होती है।
ये उम्र चालीस की बड़ी अजीब होती है...!

सफेदी बालों से झांकने लगती है,
तेज़ दौड़ो तो सांस हाँफने लगती है।
टूटे ख़्वाब, अधूरी ख़्वाहिशें,
सब मुँह तुम्हारा ताकने लगती है।
ख़ुशी बस इस बात की होती है,
की ये उम्र सबको नसीब होती है।

ये उम्र चालीस की बड़ी अजीब होती है...

न कोई हसीना मुस्कुराके देखती है,
ना ही नजरों के तीर फेंकती है,
और आँख लड़ भी जाये जो गलती से,
तो ये उम्र तुम्हें दायरे में रखती है।
कदर नहीं थी जिसकी जवानी में,
वो पत्नी अब बड़ी करीब होती है

ये उम्र चालीस की बड़ी अजीब होती है...!

वैसे, नज़रिया बदलो तो
शुरू से शुरवात हो सकती है,
आधी तो अच्छी गुज़री है,
आधी और बेहतर गुज़र सकती है।

थोड़ा बालों को काला और
दिल को हरा कर लो,
अधूरी ख्वाहिशों से कोई
समझौता कर लो।

ज़िन्दगी तो चलेगी अपनी रफ़्तार से,
तुम बस अपनी रफ़्तार काबू में कर लो।
फिर देखिए ये कितनी खुशनसीब होती है ..

ये उम्र चालीस की बड़ी अजीब होती है...!