कटी पतंग कविता A Hindi Poetry by My Wife Aanchal Khanna

in #partiko6 years ago

मेरा नहीं हर शख्स का बयाँ है

मोहब्बत का अपना आसमा है ||

आसमा में हर किसी की उडी है पतंग

मेरी भी थी बस उसी में पतंग ||

जिसकी थी दोस्तों अपनी ही तरंग

उडती ही जाती थी लेकर उमंग ||

जब लड़ते है पेचे तो कटती है पतंग

मेरी भी लड़ी थी वही पर पतंग ||

उसी डोर से सटी थी मेरी भी उमंग

बेदर्दी से कट गयी मेरी वो पतंग ||

अब सब कहते है मुझको कटी सी पतंग

फिर भी डटी हु उसी आसमा में ||

मिल जाये मुझे बस वाही डोर अब तो

थामुंगी उसी को नहीं और अब तो||

क्यूंकि मेरा नहीं हर शख्स का बयाँ है

मोहब्बत का अपना होता आसमा है ||

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