वो निकल गए मेरे रास्ते से इस कदर कि,
जैसे कि वो मुझे पहचानते ही नहीं,
कितने ज़ख्म खाए हैं मेरे इस दिल ने,
फिर भी हम उस बेवफ़ा को बेवफ़ा मानते ही नहीं।
हर पल कुछ सोचते रहने की आदत हो गयी है,
हर आहट पे चौंक जाने की आदत हो गयी है,
तेरे इश्क़ में ऐ बेवफा, हिज्र की रातों के संग,
हमको भी जागते रहने की आदत हो गयी है।