उलझनों और कश्मकश में,
उम्मीद की ढाल लिए बैठा हूँ।
ए जिंदगी! तेरी हर चाल के लिए,मैं दो चाल लिए बैठा हूँ |
लुत्फ़ उठा रहा हूँ मैं भी आँख - मिचोली का।
मिलेगी कामयाबी,हौसला कमाल का लिए बैठा हूँ l
चल मान लिया,दो-चार दिन नहीं मेरे मुताबिक़
गिरेबान में अपने,ये सुनहरा साल लिए बैठा हूँ l
ये गहराइयां, ये लहरें, ये तूफां, तुम्हे मुबारक
मुझे क्या फ़िक्र मैं कश्तीया और दोस्त बेमिसाल लिए बैठा हूँ...
सुप्रभातम
Hi, is there a
What u saying bro