# Good Moring

in #social7 years ago

उलझनों और कश्मकश में,
उम्मीद की ढाल लिए बैठा हूँ।

ए जिंदगी! तेरी हर चाल के लिए,मैं दो चाल लिए बैठा हूँ |

लुत्फ़ उठा रहा हूँ मैं भी आँख - मिचोली का।

मिलेगी कामयाबी,हौसला कमाल का लिए बैठा हूँ l

चल मान लिया,दो-चार दिन नहीं मेरे मुताबिक़

गिरेबान में अपने,ये सुनहरा साल लिए बैठा हूँ l

ये गहराइयां, ये लहरें, ये तूफां, तुम्हे मुबारक

मुझे क्या फ़िक्र मैं कश्तीया और दोस्त बेमिसाल लिए बैठा हूँ...

सुप्रभातम

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