TRP in Media

in #televison7 years ago

अगर आप टीवी देखते हैं या किसी दूसरे मीडिया-माध्यम का उपयोग करते हैं तो आपने टी आर पी शब्द जरूर सुना होगा। परन्तु इसके वास्तविक अर्थ से हम सभी अब तक अनभिज्ञ हैं।

टी आर पी को टेलीविज़न रेटिंग पॉइंट कहा जाता है। यह एक तरह की प्रक्रिया है जिसमें यह जानने का प्रयास किया जाता है कि कौन सा चैनल या कौन से चैनल का कौन सा शो सबसे ज्यादा देखा जा रहा है। यह एक तरह से व्यूअरशिप जानने की प्रक्रिया होती है। दर्शक किस तरह की विषयवस्तु को पसंद करता है यह जानने के लिए टी आर पी का ही सहारा लिए जाता है।

टी आर पी को मापने के लिए भारत में बहुत सारी एजेंसियां कार्यरत हैं जो अपने विभिन्न टूल्स की सहायता से टी आर पी को मापती हैं। उदाहरण के लिए INTAM (इंडियन टेलीविज़न ऑडियंस मेजरमेंट) एक ऐसी ही एजेंसी है, जो दो तरीकों से टी आर पी का आंकलन करती है :-

1 पीपल्स मीटर द्वारा

  1. फ्रीक्वेंसी द्वारा

इसमें किसी शहर या गांव के चुनिंदा घरों के टीवी सेटों के साथ पीपल्स मीटर लगा दिए जाते हैं। ये पीपल्स मीटर इस बात को डिकोड करते हैं कि दर्शक द्वारा कौन-सा कार्यक्रम या कौन-सा चैनल कितना देखा जा रहा है। फ्रीक्वेंसी द्वारा टी आर पी का अनुमान लगाना थोड़ा आसान रहता है क्योंकि सेट टॉप बॉक्स में हर चैनल की फ्रीक्वेंसी पहले से निर्धारित होती है। हम जिस भी चैनल को ट्यून करते हैं उसकी फ्रीक्वेंसी हमें दिखाई देती है। साथ ही साथ सेटेलाइट और अन्य तकनीकों की मदद से एजेंसी भी यह पता लगाने में सक्षम होती है कि कौन-सी फ्रीक्वेंसी का चैनल दर्शकों द्वारा ज्यादा देखा जा रहा है।

अब सवाल ये उठता है कि चैनलों को इस टी आर पी से क्या फ़ायदा होता है ?

टीवी चैनलों में टाइम सेल्लिंग की प्रक्रिया होती है। टीवी चैनलों की कमाई मुख्य रूप से विज्ञापनों पर निर्भर होती है। जिस चैनल के पास जितने ज्यादा विज्ञापन , उसकी उतनी ज्यादा कमाई।

बड़ी बड़ी कंपनियां प्राय उसी चैनल को अपना विज्ञापन देना पसंद करती हैं जिसकी टी आर पी ज्यादा होती है यानि जिसकी व्यूअरशिप ( देखने वाले ) ज्यादा होती है। यही कारण होता है कि ज्यादा से ज्यादा देखा जाने वाला चैनल अपना टाइम किसी विज्ञापन के लिए लाखों-करोड़ो में बेचता है। वर्तमान समय में टी आर पी को ध्यान में रखकर ही एक टीवी चैनल अपने कार्यक्रम तैयार करता है। किसी कार्यक्रम में

इंफोटेनमेंट (सूचना+मनोरंजन) का पुट इसी वजह से डाला जाता है ताकि ज्यादा से ज्यादा दर्शकों को आकर्षित किया जा सके।