संख्या = सम्यक् ख्याति । सम्यक् रूप से समग्रता में देखना वा जानना । टाँग वा सूँढ को अलग−अलग न देखना,पूरे हाथी को देखना ही “सम्यक्” देखना है । तब पता चलेगा कि हाथी है वा कुछ और,तब पता चलेगा कि हाथी एक है वा दो वा तीन ⋅⋅⋅ अथवा इतने अधिक कि आधुनिक सांख्यिकी की आवश्यकता पड़े ।
Bilkul sahi mitra👌