You are viewing a single comment's thread from:RE: धर्म का प्राणतत्व : विनय (भाग # २) | The Life of Religion : Modesty (Part # 2)View the full contexthrj333 (32)in #life • 6 years ago युरिया खाते हैं सहाब गुरू भी और शिष्य भी अब तो बस न के बराबर है अच्छे गुरू और शिष्य
सत्य वचन है.
न के बराबर ही सही है तो.