दान करना तो हम भारतीयों का परम कर्तव्य है।
रहीम के बारे में क्या कहूं, वह तो परम ज्ञानी और दानी महापुरुष थे उनकी महानता चारों तरफ फैली हुई थी। दान को हम रामायण की एक घटना से समझ सकते हैं कि जब रामसेतु बन रहा था तब एक गिलहरी भी अपने शरीर पर रेत लगाकर उसे समुद्र में भिगोने लगी। जब हनुमान जी ने उस से पूछा कि तुम्हारे ऐसा करने से सेतु निर्माण में कोई प्रभाव नही पड़ेगा । तब गिलहरी ने बहुत ही शांत स्वर में बहुत ही अच्छा जवाब दिया कि मुझे पता है कि इस से निर्माण में कोई प्रभाव नही पड़ेगा , लेकिन मैं तो अपना कर्म कर रही हु और यह दान ही तो है।
दान छोटा हो या बड़ा इस से कोई फर्क नही पड़ता फर्क तो इस से पड़ता है कि उस से दूसरों का कितना भला होता है।
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