किसी के भी पास ज्ञान एक जैसा नहीं है किसी के पास ज्यादा है तो किसी के पास कम है. कोई अपने ज्ञान को अच्छे कार्यो में लाता है तो कोई गलत कार्यो में लाता है. कोई भी धर्म हमे कुछ गलत करने का आदेश नहीं देता है. ये तो सब अपनी सोच पर निर्भर करता है. और रही बात सच बोलने की तो लगता है आज के वक़्त में सच कोई बोलना ही नहीं चाहता है क्योकि सच के साथ जीतना थोडा कठिन हो जाता है और झूठ के साथ जीतना थोडा आसन हो जाता है.
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बिल्कुल सही बात है, अभी अपने द्वारा अर्जित ज्ञान को अलग- अलग तरह से उपयोग करते है. कोई अच्छे कार्यों में लगता है तो कोई ख़राब/गलत कार्यों में. धर्म तो सभी सही ही है.
जी सही कहा आपने
मैंने अभी देखा आपने एक पोस्ट, मेरी पोस्ट के जवाब में डाली है. जबकि मैंने ऐसा कभी नहीं लिखा कि 'असत्य, सत्य पर भारी है' और 'असत्य की सत्य पर विजय' ऐसा भी कभी नहीं लिखा और न ही ऐसा मतलब है. पता नहीं आपको ऐसा क्यों लगा?
आपकी post के बदले में नहीं, google पर बहुत से आर्टिकल देखे कुछ new टॉपिक post करने के लिए. वही पर कुछ ऐसा दिखाई दिया इसलिए थोड़े शब्दों में बोल दिया. आपकी post में ऐसा बिलकुल नहीं कहा गया है अगर कहा गया होता तो यही पर इस बात को बोलता न की अपने ब्लॉग पर. मैं आपकी post को ध्यान से पढता हूँ आपके द्वारा बताया गया सब सत्य है. अगर कोई प्रोब्लुम है तो मैं उस post को एडिट कर दूंगा लेकिन आप ऐसा ना सोचे की मैंने आपकी post के बदले में ऐसा कुछ आपकी post में कहा है.
Sir, क्या मैं आपसे पर्सनल कांटेक्ट कर सकता हूँ
यहां आप अपने विचारों के लिए स्वतन्त्र है. आप चाहे जो लिखे मुझे कोई आपत्ति नहीं है. आपको पोस्ट एडिट करने की भी कोई जरुरत नहीं है.
आप को मेरे reply से कुछ गलत लगा हो तो उसके लिए क्षमा चाहता हूँ. आप अपना कार्य करते रहें.
कोई बात नही sir, हमने अपनी पोस्ट को एडिट कर दिया है। हम यहाँ पर सिर्फ दोस्तो का साथ चाहते है। हम नही चाहते कि हमारी किसी बात से किसी को कोई आपत्ति हो।