बहुत अच्छे से विबरण किया है आपने ईर्ष्या और प्रेम का, हम आज कल संकुचित जिंदगी जीते है जिससे हमारे मन में द्वेष पैदा हो जाता है.जबकि हमें बड़े मन बाला होना चाहीये और ईर्ष्या को प्रेम में बदल देना चाहीये.
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