आज का शे'र

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                **एक शे'र**

ये हक़ीक़त थी या ख़्वाबे-नाक़ाम था ,
ख़ूब सोचा प 'नादान' अनजान था ;
सुब्ह की ख़ुशनुमा ले के पहली किरन ,
देखिए दर पे वो आफ़ताब आ गया ।

                                  राकेश 'नादान'